Monday 4 February 2013

WAVES OF MY DREAMS


मेरे सवप्न की तरंग 



मेरे स्वप्न की तरंग , भरे मन मैं उमंग 
ह्रदय मैं बसी तमन्नाओं को जैसे 
झिंझोड़ सी देती है |
मेरे जीवन के सागर को जैसे  
एक छोर सा देती है|

ना स्वप्न की सीमा, ना इसको बंधन | 
मधुरता इसकी ऐसी ,दिल करे करता रहूँ अभिनन्दन |
शुद्धता इसकी ऐसी ,जैसे  अमृत का प्याला हो |
घूमता हूँ इसकी मोहब्बत की गलियों मैं ,
किसी से नफरत का ख्याल जैसे  दिल से निकला हो |


मेरे स्वप्न की तरंग , भरे मन मैं उमंग |
मस्तिष्क मैं ठहरे ,
गूंगे और बहरे ,विचारों को जैसे शोर सा देती है |
कहती है ,तुझमें ना कोई विकार है ,
आँख खोल तेरा हर सपना साकार है |


कुछ करने को ,आगे बढ़ने को ,
नसों मैं बहते रक्त को जैसे जोर सा देती है |
मेरे स्वप्न की तरंग , भरे मन मैं उमंग
मेरे जीवन के सागर को जैसे  
एक छोर सा देती है|

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