Monday 18 February 2013

tug of war का व्याख्यान

महा-संग्राम(tug of war) SEIT v/s TEPROD

बात आज से 2 साल पहले की है। महा-संग्राम(tug of war) होने को था,आग दोनों तरफ जोर की लगी थी। दर्शकों का उत्साह  भी देखते ही बनता था। शाम का समय था,समुद्र की ठंडी हवायें भी वीरों के जोश में फूंक मारकर चिंगारी को हवा दे रहीं थी। ताकत और जोश का प्रदर्शन शुरू होने मैं सिर्फ कुछ ही समय बाकी था।
 कुछ समय बाद डंके की आवाज गूंजी और युद्ध प्रारंभ हुआ। एक तरफ थे SEIT(second year IT) के तुच्छ समझे जाने वाले योद्धा वहीँ दूसरी ओर थे TEPROD(third yr production) के भीमकाय बलवान, जिनको देखकर लोग जीतने की उम्मीद ही छोड़ थे। परन्तु SEIT का उत्साह भी चरम सीमा पर था। खेल शुरू हुआ,उड़ती धूल को देखकर ही पता लगाया जा सकता था की बात जीत की ,सम्मान की और शौर्य की थी। कोई टस से मस होने को तैयार नहीं था, सभी डटे हुए थे हाथ जमाये। अचानक से TEprod का पलडा भारी पड़ने लगा था। SEIT को देख कर  लग रहा था की उनके प्राण निकलने हो हैं पर जीत की हठ उन्होंने भी कर रखी थी। लोगों की सांसें रफ़्तार पकड़ रही थी, दुनिया जैसे थम-सी गयी थी और वो हुआ जिसकी कल्पना ही की जा सकती थी। TEPROD बिखरी हुई नजर आयी। खुशियाँ SEIT की झोली में थी।

SEIT का अंग होने के नाते हम भी काफी ख़ुशी थे और हमारी ख़ुशी में तारे तब लगे जब किसी हवा के झोंखे ने धीरे से नजदीक आते हुए कुछ कहा.....IT ROCKS।   

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