Tuesday 19 August 2014

लाइफ ऑफ़ कुत्ता

( इस पोस्ट की  किसी भी कुत्ते को या उसकी भावना को ठेस पहुँचाने की नहीं है अगर आप इसे अपने कुत्ते से relate करते हो तो उसे मात्र एक संयोग कहा जाएगा ।) 

लाइफ ऑफ़ कुत्ता 
गली में  कुछ पिल्लों ने जन्म लिया. पिल्लों को लगा की वो क़ुदरत का एक करिश्मा हैं। कुछ दिन ज़िन्दगी जीने की इच्छा लिये उन्होंने  अपने छोटे छोटे पावं से चलने की कोशिश करना शुरू कर दिया ।   लग रहा था मानो कोई रूई का गोला लूड़क रहा हो.

पिल्लों की माँ आती तो ऐसा लगता जैसे  मदर डेरी की बस खुशीओं की बहार लिए आ रही हो । बच्चे माँ  के पीछे भागते जैसे  लिमिटिड  स्टॉक हो या ऑफर चल रहा हो।  कितनी खुशहाल ज़िंदगी थी उनकी, खेलना कूदना , एक दूसरे को बिना दाँतों वाले  मुँह  से काटना , एक दूसरे की तरफ ऐसे  भोंकते जैसे  वो खुदतो जंगल के राजा हों और सामने वाला कुत्ता !

एक दिन गली के बच्चों  की नज़र उनकी खुशहाल ज़िन्दगी पर पड़ गयी , बच्चों  ने अपना-अपना पिल्ला चूज़ कर लिया, " देख श्याम , ये सफ़ेद वाला मेरा इसका नाम स्पीडरमैन" । बेचारे  पिल्लों ने कुछ दिन पहले ही अपनी आँखें  खोली थी की उनकी मुलाकात एक दूसरे करिश्मे से हो गयी जिसे हम इंसान कहते हैं.


पिल्लों को क्या पता था उनकी हालत कुत्ते की तरह होने वाली है.
बच्चों को अपना खिलौना मिल चुका था।  एक घास के मैदान मैं ले जाकर  कोई उनको स्पाइडरमॅन बना रहा था तो कोई सुपरमैन । पिल्लों ने अभी ठीक से चलना भी शुरू नही किया था की उनको उड़ने की ट्रैनिंग मिलने लगी थी। 
पिल्लों को भी समझ नहीं आ रहा था की हो क्या रहा है उनके साथ क्या यही उनकी ज़िन्दगी होने वाली थी । छोटी छोटी मासूम सी आँखे जैसे कन्फ्यूज़्ड सी होकर अपने दूसरे पिल्ले भाईओं को देख रही थी ।  बोलना चाह रहीं  हो जैसे ,अब तक तो सब ठीक था ना जाने ये कुत्ते कहाँ से आ गये, हो सकता है हमको पास वाली कुतिया की नज़र लग गयी हो । 

शाम होने को आ गयी थी पिल्लों को मदर डेरी का इंतज़ार था वैसे भी आज उनको कमांडो ट्रेनिंग मिली थी । 
एक बच्चे  ने अपने पिल्ले के गले मैं रस्सी बाँधी , उस रस्सी ने पिल्ले को अहसास दिलाया की उसकी ज़िंदगी कुत्ते की है। 
तभी किसी की आवाज़ आयी चलो यहाँ से इनकी माँ आने वाली है । 
-----------------------------------------------------------------------------------------to be continued KUTTA-2

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