Wednesday 15 June 2016

बातें

बातें 

देखो  आज भी खामोश है वो क्यूंकि उसने सीखा है कि ख़ामोशी सबकुछ बयां कर देती है  । 

ख़ामोशी तो बहुत कुछ बताती है शरारत , नज़ाकत ,शराफत , महोब्बत ,हक़ीक़त ,इबादत  । 

सोचा इस खामोश चेहरे के पन्ने पलटकर देखूं , कहीं कुछ लिखा नज़र आ जाये जिस पर यकीन हो । बहुत कुछ मिला भी मगर वह या तो ऊँचे पहाड़ जैसा था या फिर गहरी खायी की तरह । 

बातों के आसरे में ख़ामोशी सीधी रोड की तरह लगाती है । 
चलो कोई बात करते हैं क्यूंकि ख़ामोशी सबकुछ नहीं बताती । 

No comments:

Post a Comment