बातें
देखो आज भी खामोश है वो क्यूंकि उसने सीखा है कि ख़ामोशी सबकुछ बयां कर देती है ।
ख़ामोशी तो बहुत कुछ बताती है शरारत , नज़ाकत ,शराफत , महोब्बत ,हक़ीक़त ,इबादत ।
सोचा इस खामोश चेहरे के पन्ने पलटकर देखूं , कहीं कुछ लिखा नज़र आ जाये जिस पर यकीन हो । बहुत कुछ मिला भी मगर वह या तो ऊँचे पहाड़ जैसा था या फिर गहरी खायी की तरह ।
बातों के आसरे में ख़ामोशी सीधी रोड की तरह लगाती है ।
चलो कोई बात करते हैं क्यूंकि ख़ामोशी सबकुछ नहीं बताती ।
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